परिचय
हिन्दू धर्म में शक्ति उपासना का अत्यंत महत्व है। देवी के अनेक स्वरूपों में से एक सबसे ऊँचा और सर्वोच्च स्वरूप है — माँ ललिता त्रिपुर सुन्दरी जी।
इन्हें आदि शक्ति, षोडशी, राजराजेश्वरी और श्रीविद्या की अधिष्ठात्री देवी कहा जाता है।
शास्त्रों के अनुसार माँ ललिता जी ही वह शक्ति हैं जिनसे ब्रह्मांड की सृष्टि, पालन और संहार होता है।
माँ ललिता त्रिपुर सुन्दरी जी कौन हैं?
- माँ ललिता जी को त्रिपुरा सुन्दरी कहा गया है क्योंकि वे तीनों लोक (स्वर्ग, मर्त्य और पाताल) में सबसे सुंदर और शक्तिशाली देवी हैं।
- वे केवल सौंदर्य की देवी ही नहीं, बल्कि ज्ञान, शक्ति और प्रेम की अधिष्ठात्री भी हैं।
- ब्रह्मांड पुराण और देवी भागवत में वर्णन है कि स्वयं भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान महेश जी भी शक्ति प्राप्त करने के लिए माँ की आराधना करते हैं।
- उन्हें आदि शक्ति कहा जाता है क्योंकि वे समस्त शक्तियों की मूल जननी हैं।
माँ ललिता जी की पूजा का महत्व क्यों सबसे अधिक है?
- अन्य देवी-देवताओं की पूजा विशेष फल देती है, परंतु माँ ललिता जी की पूजा करने से साधक को सभी देवताओं का आशीर्वाद स्वतः प्राप्त हो जाता है।
- जब कोई साधक माँ की उपासना करता है, तो नवग्रह और 27 नक्षत्र भी अनुकूल हो जाते हैं।
- ग्रहों का प्रकोप (जैसे शनि, राहु, केतु या मंगल दोष) शांत हो जाता है।
- माँ की पूजा करने वाले के जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता स्वतः आती है।
- विद्यार्थियों के लिए यह पूजा विशेष रूप से लाभकारी है क्योंकि माँ ललिता को ज्ञान और विद्या की अधिष्ठात्री भी माना गया है।
श्री यंत्र – ब्रह्मांड का सबसे शक्तिशाली यंत्र

माँ ललिता जी का वास्तविक स्वरूप श्री यंत्र माना जाता है।
शास्त्रों में कहा गया है कि श्री यंत्र स्वयं माँ ललिता का ही रूप है।
इसे यंत्रों का राजा भी कहा जाता है।
श्री यंत्र की संरचना
- इसमें कुल 9 त्रिकोण (Triangles) होते हैं।
- इनमें से 4 त्रिकोण ऊपर की ओर होते हैं जो भगवान शिव का प्रतीक हैं।
- और 5 त्रिकोण नीचे की ओर होते हैं जो माँ शक्ति का प्रतीक हैं।
- इन सबका संगम ही पूरे ब्रह्मांड की ऊर्जा को एक केंद्र में लाता है।
श्री यंत्र में देवी-देवताओं का वास
- बाहरी चक्र में अष्टलक्ष्मी और दशमहाविद्या देवियाँ विराजमान हैं।
- मध्य चक्र में अनेक देवियाँ और देवता जिनमें ऐश्वर्य, स्वास्थ्य, ज्ञान और शक्ति देने वाली शक्तियाँ शामिल हैं।
- सबसे अंदर का त्रिकोण (त्रैलोक्य मोहन चक्र) माँ ललिता त्रिपुर सुन्दरी जी का प्रतीक है।
- केंद्र बिंदु (बिन्दु) में स्वयं आदि शक्ति विराजती हैं।
श्री यंत्र की प्राण-प्रतिष्ठा और स्थापना

केवल श्री यंत्र को घर में रख देना पर्याप्त नहीं है।
जब इसे विधिपूर्वक प्राण-प्रतिष्ठा करके स्थापित किया जाता है, तभी यह एक जीवित ऊर्जा केंद्र बनता है।
प्राण-प्रतिष्ठा के बाद श्री यंत्र से लाभ
- घर और कार्यालय से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
- जीवन में आर्थिक समृद्धि और ऐश्वर्य बढ़ता है।
- पारिवारिक कलह समाप्त होकर शांति और सुख मिलता है।
- व्यवसाय में सफलता और प्रगति होती है।
- ग्रह दोष स्वतः शांत होकर जीवन की बाधाएँ दूर हो जाती हैं।
माँ ललिता त्रिपुर सुन्दरी जी की पूजा से मिलने वाले लाभ
- ग्रह दोषों से मुक्ति – माँ की उपासना से शनि, राहु, केतु, मंगल आदि का दोष शांत होता है।
- ज्ञान और शिक्षा में वृद्धि – विद्यार्थियों और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों के लिए यह पूजा विशेष फलदायी है।
- धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति – घर में लक्ष्मी का वास होता है।
- स्वास्थ्य लाभ – मानसिक तनाव, भय और रोगों से मुक्ति मिलती है।
- शत्रु नाश – साधक के शत्रु स्वतः नष्ट हो जाते हैं।
- मोक्ष की प्राप्ति – अंततः साधक को आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष प्राप्त होता है।
ब्रह्मांड पुराण और देवी भागवत से प्रमाण
ब्रह्मांड पुराण में उल्लेख है कि —
जो साधक माँ त्रिपुरा सुन्दरी की आराधना करता है, उसके लिए सभी ग्रह-नक्षत्र अनुकूल हो जाते हैं और देवता स्वयं उसकी रक्षा करते हैं।
देवी भागवत में कहा गया है कि —
माँ ललिता ही आदि शक्ति हैं, और उनके बिना देवताओं की शक्ति अधूरी है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
- माँ ललिता त्रिपुर सुन्दरी जी की पूजा कब करनी चाहिए?
माँ ललिता जी की पूजा पूर्णिमा, शुक्रवार, नवरात्रि, पुष्य नक्षत्र और किसी भी शुभ तिथि पर करनी अत्यंत फलदायी मानी गई है। - श्री यंत्र को घर में कहाँ स्थापित करना चाहिए?
श्री यंत्र को हमेशा पूजा स्थल या ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में रखें। इसे साफ-सुथरे और पवित्र स्थान पर रखना आवश्यक है। - क्या श्री यंत्र को स्थापित करने से पहले प्राण-प्रतिष्ठा ज़रूरी है?
हाँ, बिना प्राण-प्रतिष्ठा के श्री यंत्र केवल एक धातु/पत्थर का टुकड़ा होता है। प्राण-प्रतिष्ठा के बाद ही इसमें दिव्य ऊर्जा जाग्रत होती है। - श्री यंत्र में कितने त्रिकोण होते हैं और उनका क्या महत्व है?
श्री यंत्र में कुल 9 त्रिकोण होते हैं।
4 त्रिकोण ऊपर की ओर (शिव का प्रतीक)
5 त्रिकोण नीचे की ओर (शक्ति का प्रतीक)
इनमें समस्त देवी-देवताओं और शक्तियों का वास माना जाता है। - माँ ललिता त्रिपुर सुन्दरी जी की पूजा से क्या लाभ मिलते हैं?
ग्रह दोषों का निवारण
शिक्षा और करियर में सफलता
धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति
पारिवारिक सुख-शांति
स्वास्थ्य लाभ
शत्रु नाश और आध्यात्मिक उन्नति - क्या यह पूजा ऑनलाइन करवाई जा सकती है?
जी हाँ हमारी Shree Kripa Kendra संस्तान में यह पूजा हरिद्वार स्थित श्री यंत्र मंदिर में पंडितों द्वारा आपके नाम और गोत्र से की जाती है। पूजा के बाद प्राण-प्रतिष्ठित श्री यंत्र आपके घर भेजा जाता है। - क्या इस पूजा का कोई शुल्क है?
नहीं यह पूजा पूरी तरह दान (donation) आधारित है। आप अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य अनुसार दान कर सकते हैं। - क्या माँ ललिता त्रिपुर सुन्दरी जी की पूजा से ग्रह दोष भी शांत हो जाते हैं?
हाँ शास्त्रों में वर्णन है कि माँ ललिता की आराधना से शनि, राहु, केतु और अन्य प्रतिकूल ग्रह अनुकूल हो जाते हैं। - क्या विद्यार्थी भी इस पूजा से लाभ प्राप्त कर सकते हैं?
जी हाँ माँ ललिता जी ज्ञान और विद्या की अधिष्ठात्री हैं। इसलिए विद्यार्थी और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले इस पूजा से विशेष लाभ पाते हैं।
निष्कर्ष
माँ ललिता त्रिपुर सुन्दरी जी की पूजा और श्री यंत्र की साधना साधक को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और सुख प्रदान करती है।
चाहे वह शिक्षा हो, धन हो, स्वास्थ्य हो या आध्यात्मिक उन्नति — माँ की कृपा से सब कुछ संभव है।
इसीलिए कहा गया है:
देवी माँ की कृपा बेची नहीं जाती, बांटी जाती है।
हमारी संस्तान की विशेष सेवा – Shree Kripa Kendra
हमारी Shree Kripa Kendra संस्तान माँ ललिता त्रिपुर सुन्दरी जी की पूजा को पूर्ण विधि-विधान से, विद्वान और अनुभवी पंडितों द्वारा आपके लिए सम्पन्न करवाती है।
यह विशेष पूजा हरिद्वार स्थित श्री यंत्र मंदिर में आयोजित की जाती है, जो स्वयं एक दिव्य ऊर्जा केंद्र और शक्तिपीठ माना जाता है।
यह पूजा पूरी तरह दान (donation) आधारित है। इसमें कोई शुल्क निर्धारित नहीं है, केवल आपकी श्रद्धा ही हमारा सम्मान है।
इस पूजा के साथ आपके नाम और गोत्र से श्री यंत्र की प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है और वह दिव्य श्री यंत्र आपको भेजा जाता है, ताकि आपके घर-परिवार को निरंतर सकारात्मक ऊर्जा और माँ की कृपा मिलती रहे।